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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥

हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता

The Chandi Path, an integral Component of worship and spiritual apply, Primarily during Navaratri, is just not simply a textual content but a journey in by itself. Its recitation is a powerful Resource within the seeker's arsenal, aiding in the navigation from ignorance to enlightenment.

वर्गानुक्रमयोगेन यस्याख्योमाष्टकं स्थितम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥

काञ्चीपुरीश्वरीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१०॥

देवीभिर्हृदयादिभिश्च परितो विन्दुं सदाऽऽनन्ददं

The legend of Goddess Tripura Sundari, often called Lalita, is marked by her epic battles against forces of evil, epitomizing the eternal battle involving very good and evil. Her tales are not merely tales of conquest but additionally carry deep philosophical and mythological importance.

ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः

Goddess also has the identify of Adi Mahavidya, which implies the complete Model of actuality. In Vedic mantras, she is called the Goddess who sparkles with The gorgeous and pure rays of your Sunshine.

कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥

The worship of Goddess Lalita is intricately connected Using the pursuit of each worldly pleasures and spiritual emancipation.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति here न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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